सावन मास---- शिव उपासना

 भारतीय संस्कृति में सावन मास की महिमा का वर्णन विशेष रुप से किया गया है।इस महा में शिव उपासना का अद्भुत महत्व है वैसे तो सदैव ईश्वर की उपासना अपना अलग ही महत्व रखती है पर सावन मास में शिव भक्ति में सब लीन होकर शिव का जाप करते हैं व्रत करते हैं कावड़ लाते हैं वह किसी भी प्रकार के बुरे कर्मो से दूर रहते हैं।


सावन मास के सोमवार का व्रत विवाहित महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख - शान्ति के लिए ।


अविवाहित कन्याएं शीघ्र विवाह व सुन्दर पति के लिए सोमवार का‌ उपवास करती है।

इस माह में रूद्र अभिषेक  का अतुलनीय महत्व होता है। जो अलग-अलग मनोकामना हेतु अलग-अलग द्रव्यों से किया जाता है।

घी,दूध,दही, शहद, गंगा जल।

आदि से मनोकामना पूर्ति हुते भगवान शिव को अभिषेक करवाते हैं ।उन‌के जीवन में सुख -शांति बनी रहे।

महादेव शंभू को बिल्वपत्र व धतूरा भांग विशेष प्रिय है।

वैसे तो सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी ग्रह से संबंधित होते हैं परंतु सोमवार का सीधा संबंध चंद्रमा से होता है। चंद्रमा मन का कारक है इसलिए कहा जाता है  *चंद्रमा मनसो जात:* इसलिए चंद्रमा की शांति के लिए शिव  की उपासना की जाती है चंद्रमा शिव के मस्तक में विराजमान है अतः शिव का एक अभिन्न अंग चंद्रमा को माना जाता है सोमवार के दिन दोनों की पूजा एक साथ हो जाती है।

सावन मास में अनेक प्रकार से पूजा की जाती है।

 जिसमें शिवलिंग बनाकर दीक्षा विधि के अनुसार पूजा अर्चना कर उसे जल में प्रवाहित भी किया जाता है मिट्टी के शिवलिंग को।।

अग्नि पुराण के अनुसार मिट्टी के शिवलिंग दो प्रकार के होते हैं पक्का,और अपक्का । जिसमें अपक्क शिवलिंग की अपेक्षा पक्का शिवलिंग अच्छा माना जाता है।

अग्नि पुराण के अनुसार नमक और घी से बना लिंग बुद्धि में वृद्धि करता है तथा व वस्त्र से बना शिवलिंग संपत्ति वर्धक होता है मिट्टी से बने लिंग की अपेक्षा काष्ठलिंग अधिक पुष्यप्रद होता है। स्वर्णलिगं सर्वश्रेष्ठ होता है

चांदी तांबा पीतल रांगा के बने लिंग श्रेष्ठ तथा भोग और मोक्ष प्रदान माने गए हैं परंतु शिव की पूजा सर्वत्र किसी भी रूप में की जाए तो वह उत्तम ही होती है।

श्रावण मास अभीष्टो को दूर करने वाला होता है ।इस महीने के दोनों पक्षों की तिथियों में भिन्न-भिन्न देवी देवताओं के पूजन निश्चित किए हुए हैं किंतु भगवान शिव की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है जो भक्त लक्ष्मी की इच्छा रखता है उसे बेलपत्र से, शांति के इच्छुक को दुर्वा के अंकुरण से ,आयु चाहने वाले को चंपा के पुष्पों से, विद्या चाहने वालों को मल्लिका के पुष्पों से ,पुत्र की इच्छा रखने वाले वाले को कटैली के पुष्पों से ,बुरे सपनों के नाश के लिए उत्तम धन्य ध्यान से पूजा करनी चाहिए।

स्कन्द पुराण के अनुसार जो व्यक्ति बेल पत्रों से महादेव की पूजा-अर्चना करता है। वह बेलपत्र ओं की संख्या के बराबर ही करोड़ों वर्षों तक शिवपुरी में वास करता है।

हर हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे।🙏🚩

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