जन्माष्टमी व्रत

जन्माष्टमी को त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मान्यता है कि श्री कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था।
श्री कृष्ण भगवान के जन्म के बारे में बताया जाता है कि जिस समय सिंह राशि पर सूर्य और वृश्चिक राशि पर चंद्रमा था भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अर्ध रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। वासुदेव के द्वारा माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था यही दिन संसार में जन्माष्टमी के नाम से विख्यात हुआ।
इस व्रत के करने से शांति, सुख और निरोगी काया प्राप्त होती है। इस व्रत के करने से सात जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।
व्रत के लिए पहले नहा धोकर स्नान करें ।व्रत का नियम धारण करें। सारा दिन भगवान का जाप करें वह ध्यान करें।
*ओम वासुदेवाय नमः*मंत्र का जाप करें!
चंद्रमा के उदय हो जाने पर चंद्रमा को अर्घ्य दे।
रोहिणी, चंद्रमा ,वसुदेव, देवकी ,नं,द यशोदा और बलदेव जी की भी पूजन करना चाहिए। इससे सभी पापों से मुक्ति हो जाती है। इस व्रत को जो भी व्यक्ति प्रतिवर्ष करता है वह पुत्र, संतान, आरोग्य, धन- धान्य, आयुष्मान और राज्य सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। जिस घर में यह व्रत पूरी श्रद्धा भाव से किया जाता है। वहां अकाल मृत्यु नहीं होती और ना गर्भपात होता है कलह, वैधव्य, दौभार्ग्य, नहीं होता।
इस व्रत को एक बार करता है उसको विष्णु लोक की प्राप्ति होती है इस व्रत को करने वाला संसार के सभी सुखों को भोग कर अंत में विष्णु लोक में निवास करता है।
श्री कृष्ण शरणम ममः 

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