क्या है वैदिक ज्योतिष?

ज्योतिष वह विद्या है ,जिसके द्वारा आकाशीय ग्रहों के माध्यम से भूत ,भविष्य और वर्तमान के बारे मे जान सकते है। वेदो मे वर्णित यह विद्या भारत की धरा पर  वैदिक काल से  ही  श्व्याप्त है। वेद मे यज्ञ को महत्वपूर्ण माना जाता है। यज्ञ एक प्रकार से विज्ञान का विषय है जिसमें मनुष्य का भौतिक एंव आध्यात्मिक उन्नति होती है जिस का मुख्य उद्देश्य अंतिम सत्य को जानना। ज्योतिष शास्त्र का मूल श्रोत वेद है ।सनातन धर्म में वेद ही मूल तत्व है और ज्योतिष वेद का छठा अंग है वेद में ज्योतिष शास्त्र को वेद का चक्षु अर्थात आँख कहा जाता है। वेदो मे यज्ञों का करना एक निश्चित समय पर कहा गया है। समय की जानकारी हमें ग्रहो ,नक्षत्र के माध्यम से होती थी।ज्योतिषशास्त्र का अध्ययन वैदिक काल से ही चला आ रहा है ।ज्योतिष उतना ही प्राचीन है जितने वेद।भारतीय ज्योतिष की सम्पूर्ण विश्व में अपनी एक पहचान है।आर्य भट्ट, वराहमिहिर,भास्कराचार्य,  आदि कुछ प्रमुख ज्योतिष आचार्य हुए जिन्होने भारतीय ज्योतिष को  विश्व में अर्गिम श्रेणी में ला कर खङा किया। 

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