नवरात्रि व्रत और पूजा-पाठ
भारत वर्ष प्रारंभ से ही तीज त्योहार की धरा रहा है ।वर्ष भर अनेक तीज त्योहार मनाए जाते है ।इन्ही त्योहार मे आते है नवरात्रि।हर साल पितृपक्ष की अमावस्या के खत्म होते ही अगले दिन से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाते है। परन्तु अब की बार एक महीने बाद नवरात्रि पर्व आ रहा है कारण यह है भारतीय ज्योतिष में सूर्य ओर चन्द्रमा के आधार पर समय की गणना की जाती है ।जिस परिणामस्वरूप यह वृद्धि हुई जैसा कि हम सब जानते प्रत्येक त्योहार एक मौसम विशेष मे ही मनाया जाता है।भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार प्राचीन समय से ये त्योहार मनाए जाते रहे है।अब की बार नवरात्रि 17 अक्टूबर शनिवार से 25 अक्टूबर रविवार तक मनाए जाएगे।देवी भागवत के अनुसार माता की स्वारी अब की बार घोड़ा होगी क्योंकि शनिवार से प्रारंभ हो रहे है। * क्लश स्थापित करने का शुभ मूहुर्त 6:27 से10:13 तक रहेगा यदि किसी कारण वश तब स्थापित ना कर पाए तो अभिजीत मुहूर्त 11:44 से 12:29 तक रहेगा। * क्लश की स्थापना उत्तर-पूर्व दिशा मे करे। *एक दिन पहले तामसिक भोजन ग्रहण ना करे ।सात्विक भोजन करे ।मंदिर की अच्छे से सफाई करे ।माता से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करे व घर मे पधारने के लिए निमंत्रण दे। *ब्रह्मम मूहुर्त मे उठ कर स्नान कर गंगाजल जल छिड़काव करे घर मे मंदिर मे ,चौकी लगाए उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाए व कोरा लाल कपड़ा बिछाए। * माता रानी की मूर्ति की स्थापित करे। चुन्नी उठाए। *अखण्ड ज्योत प्रज्वलित करे दुर्गा सप्तसती का पाठ करे।(सामर्थ्य अनुसार) *पूजा सामग्री, रोली, मौली ,कपूर, चुनरी, गोला गिरी, मिश्रित, नारियल, हवन साम्रगी, धूप-दीप आदि। * ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।मंत्र का जाप करे। * माता रानी के नौ स्वरूप जिन की नवरात्रि मे पूजा कि जाती है। *शैलपुत्री माता,ब्रह्माचारणी माता,चन्द्रघण्टा माता,कुष्मांडा माता,स्कंद माता,कात्यायनी माता,कालरात्रि माता, महागौरी माता,सिद्धिदात्री माता। *आचार्य चंचल शर्मा*12/10/2020
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